जिसकी मात्रा जांच नहीं सकते: उसका फैलाव नहीं हो सकता/ जो दिखेगा नहीं, वह फैलेगा नहीं : उम्मीद को बढ़ाना और कलंक को मिटाना

Submitted on Nov 5, 2019

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विषय सूचि

जिसकी मात्रा जांच नहीं सकते: उसका फैलाव भी नहीं हो सकता/ जो दिखेगा नहीं, वह फैलेगा नहीं [न = न (न दिखेगा, न फैलेगा)] क्या है?

जब एचआईवीबाधित व्यक्ति एचआईवी दवाएं ले रहा हो और उसका वायरल लोड लगभग ‘नहीं के बराबर’ हो गया हो (खून के नमूने में मापने योग्य मात्रा में पर्याप्त एचआईवी नहीं है ), वह व्यक्ति अपने एचआईवी नेगेटिव यौन साथी में एचआईवी संक्रमण नहीं फैला सकता । एचआईवी समुदाय के सदस्य, पैरोकार, और विशेषज्ञ अक्सर इस क्रांतिकारी जानकारी को "जो दिखाई नहीं देगा, वह नहीं फैलेगा" (अन्डेटेक्टेबल ईक्वल्स टू अनट्रांस्मिटेबल ) या "न =न" कहते हैं |

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एचआईवी को मारो ‘गोली’ - रोकथाम के रूप में एचआईवी उपचार

दवा-गोलियों की खुराक से एचआईवी की रोकथाम, यानि TasP (ट्रीट्मेंट एस प्रिवेंशन), न = न संकल्पना की नींव है I TasP का अर्थ है कि हम एचआईवी फैलाव के जोखिम को घटाने के लिए एचआईवी उपचार का उपयोग कर सकते है । एचआईवी ग्रसित लोगों के लिए, एचआईवी दवाएं लेने से उनके रक्त में वायरस की मात्रा (वायरल लोड) कम हो सकती है, इससे उनके रक्त, योनि स्राव, और वीर्य से दूसरों को एचआईवी फैलाने की संभावना बहुत कम हो जाती है। एचआईवी दवाएं लेने से एचआईवी ग्रस्त लोगों को बेहतर महसूस करने में भी मदद मिलती है क्योंकि इससे उनका वायरल लोड कम रहता है। कम वायरल लोड का मतलब होता है एक स्वस्थ प्रतिरक्षा प्रणाली, एचआईवी को एड्स में बदलने से रोकती है।

TasP में पहली क्रांतिकारी खोज 1990 के दशक में हुई l अनुसंधान से यह पता चला कि एचआईवी ग्रसित गर्भवती महिलाओं को शुरुआती एचआईवी दवा रेट्रोवीर ( जिसे zidovudine, ZDV, या AZT भी कहा जाता है) देने पर गर्भ में पलते बच्चों में एचआईवी फैलने के जोखिम को घटा सकती है। रोग नियंत्रण और रोकथाम के लिए अमरीकी केंद्रीय सीडीसी के अनुसार, अगर एक गर्भवती मां एचआईवी की दवाएं लेती है और उसका वायरल लोड एक ‘न के बराबर’ स्थिति तक पहुँच जाता है, तो उसके बच्चे में फैलाव की संभावना १ प्रतिशत से भी भी कम हो जाती है।

TasP से यह भी संभावना है कि मिश्रित स्थिति जोड़ों/कपल्स में (ऐसे जोड़े/कपल्स जिनमें एक साथी एचआईवी ग्रसित है और दूसरा एचआईवी नेगेटिव है l इन्हे सेरो-डिस्कॉर्डंट या सेरो-डिफ़रंट जोड़े / कपल्स भी कहा जाता है)। इनमें गर्भधारण की सामान्य प्रक्रिया भी अपनायी जा सकती है l जो जोड़े निरोध या अन्य बाधाओं के बिना गर्भधारण करना चाहते हैं, वे TasP अपनाकर ऐसा सुरक्षित पद्धति से कर सकते है। एचआईवी-निगेटिव पार्टनर के पास संक्रमणपूर्व रोकथाम की दवा लेने का अतिरिक्त विकल्प होता है ताकि उसे एचआईवी संक्रमण से रोका जा सके । इस रोकथाम विधि को प्री-एक्सपोजर प्रोफिलैक्सिस या PrEP कहा जाता है।

२०११ में, एचपीटीएन ०५२ नामक एक अध्ययन से पता चला कि TasP प्रभावी था, लेकिन यह जानकारी केवल एचआईवी विशेषज्ञों तक सिमित थी । मुख्यधारा में इस जानकारी के संबंध में अनेक भ्रांतियां थीं और एचआईवी ग्रसित लोगों की ओर कलंक से भरी हुई मानसिकता भी थी । एचआईवी से ग्रस्त कई लोगों को इस घटनाक्रम की जानकारी नहीं थी।

२०१६ में, एक स्वास्थ्य समानता कार्यक्रम, प्रिवेंशन एक्सेस कैम्पैन (पीएसी) ने "न = न अभियान की नीव रखीं I यह परियोजना एचआईवी ग्रसित लोगों के नेतृत्व में शुरू की गयी । न = न अभियान एचआईवी पैरोकार, कार्यकर्ता, शोधकर्ता, और समुदाय के भागीदारों के एक वैश्विक समुदाय को जुटाकर इस तथ्य को सांझा करती है की जो व्यक्ति प्रभावी एचआईवी दवाएं लेते हैं वे यौन संबंधों से दुसरे लोगो को एचआईवी संक्रमित नहीं कर सकते । 2017 में, यूएस सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन ने आधिकारिक तौर पर उन वैज्ञानिक तथ्यों का समर्थन किया जिसके कारण न = न अभियान चलाया गया।

"हम शादी कर रहे हैं, हम अंतरंग संबंधों का आनंद ले रहे है.. । आप किसी के लिए खतरा नहीं हैं। यह मेरे जीवन में अब यही सामान्य कहलाता है ।"

- आशा मोलॉक ( प्रिवेंशन एक्सेस कैम्पैन (पीएसी)) वीडियो से, जो वेल प्रोजेक्ट परियोजना के ऑनलाइन समुदाय के कई सदस्यों को दर्शाता है)

एचआईवी उपचार, न = न कैसे बनाता है?

आपके शरीर से वाइरस फैलने की संभावना आपके शरीर में मौजूद वायरस की मात्रा पर निर्भर करती है। एचआईवी दवाएं एचआईवी वायरस को प्रजनन (खुद की प्रतियां बनाने) से रोकती हैं। जब एचआईवी दवाओं का मिलाप कारगर होता है तब आम तौर पर दवाई की खुराक शुरू करते ही शरीर का वायरल लोड जल्दी से नीचे चला जाता है ।

यदि एचआईवी प्रजनन करने में सक्षम नहीं है, तो यह आपके शरीर में नई कोशिकाओं को संक्रमित नहीं करेगा, और आपका वायरल लोड कम रहेगा । कम वायरल लोड के साथ, शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली स्वस्थ होने की संभावना अधिक है। अपने वायरल लोड को कम करें, फिर एचआईवी को दूसरों को फैलाने की संभावना कम होगी।

एचआईवी दवाएं एचआईवी को ठीक नहीं कर सकती । यही नहीं, भले ही आपका वायरल लोड ‘न के बराबर हो’, तब भी आपके अंगों में एचआईवी कोशिकाएं छिपी रहती हैं- जैसे की आपकी अंतड़ियां, मस्तिष्क या हड्डियों का मगज; विषाणुओं के छिपने की इन जगहों को-अड्डों को रिजर्वायर कहा जाता है। लेकिन ‘न के बराबर’ वायरल लोड होने का मतलब है कि शरीर के तरल पदार्थ में पाया जाने वाला वायरस (जो आम तौर यौन साथी के शरीर में पहुंच कर एचआईवी फैलाता है), उसका का स्तर न के बराबर है : जैसे की रक्त, योनि तरल पदार्थ, या वीर्य में । (जब मां के दूध की बात आती है तो कुछ अन्य पहलू जुड़ते हैं, जिन पर हम नीचे चर्चा करेंगे)

न = न के पीछे अनुसंधान

एचपीटीएन 052 अध्ययन के क्रांतिकारी नतीजे सार्वजनिक होने से पहले ही, स्विट्जरलैंड में एचआईवी सेवा प्रदाताओं के एक समूह ने स्विटज़रलैंड के ही अन्य डॉक्टरों के लिए एक पेपर तैयार किया।

"स्विस स्टेटमेंट"

2008 के "स्विस एकमत" नाम के इस बयान में, इन विशेषज्ञों ने आंकड़ों के और अपने रोगियों पर इलाज दस्तावेजों के आधार पर यह माना कि एक एचआईवी ग्रसित व्यक्ति, जिसका वायरल लोड कम से कम छह महीने के लिए न के बराबर था और अगर उसने एचआईवी दवाओं की खुराक जारी रखी, तो उससे किसी और को एचआईवी फैलने करने की जोखिम न के बराबर है (जोखिम इतनी छोटी है कि यह विचार करने लायक नहीं है)।

एचपीटीएन 052 अध्ययन

एचपीटीएन 052 एक बड़ा अध्ययन था जिसमें 1,000 से अधिक मिश्रित-स्थिति (पति-पत्नी में से केवल एक एचआईवी ग्रसित) विषमलैंगिक, वाले जोड़े शामिल थे। अध्ययन के दौरान एचआईवी फैलाव के बहुत कम मामले हुए। यह भी तब हुआ जब एचआईवी संक्रमित साथी का वायरल लोड जांच में पता चल सके इतना भारी था I इन व्यक्तियों में एचआईवी दवाओं ने अभी तक ठीक से काम करना शुरू नहीं किया था या काम करना बंद कर दिया था।

पार्टनर (साथी) अध्ययन

पार्टनर अध्ययन में विषमलैंगिक और समलैंगिक मिश्रित-स्थिति वाले जोड़ों में एचआईवी फैलाव के जोखिम को देखा गया, जिसमें एचआईवी ग्रसित साथी ने एचआईवी उपचार लिया और उनका वायरल लोड न के बराबर था। वर्ष 2016 के परिणामों से पता चला कि 1,166 जोड़ों के बीच 58,000 बार बिना कंडोम संभोग हुआ, जिसके के बाद भी जोड़ों में एचआईवी फैलाव के शून्य मामले थे: गुदा या योनि सेक्स करनेवालों में ; या महिलाओं में ; या अन्य गुप्त रोगों (एसटीआई) के साथ रहने वाले लोगों में भी यही पाया गया ।

2016 के मध्य में इन अध्ययनों के परिणाम प्रकाशित होने के बाद भी, भ्रांतियां और गलत जानकारी भरपूर थी, और कई एचआईवी ग्रसित लोगों तक यह जानकारी नहीं पहुँच पायी ।

एचआईवी ग्रसित समाज और स्वास्थ्य विशेषज्ञ भी मानते हैं

2016 में, न = न अभियान ने ‘न = न’ के पीछे विज्ञान की पुष्टि करने वाला पहला वैश्विक एकमत कथन जारी किया। तब से (५ नवंबर, २०१९ के अनुसार), ९९ देशों के ९३७ संगठनों ने - जिनमें पैरोकार समूह, सेवा संगठन, और स्वास्थ्य विभाग शामिल हैं - साथ ही दुनिया भर में कई एचआईवी विशेषज्ञों ने न = न संदेश का समर्थन किया है; इस फैक्टशीट के बनते समय तक , यह जानकारी कम से कम 13 भाषाओं में उपलब्ध है।

दि वेल प्रोजेक्ट ने अप्रैल 2017 में सार्वजनिक रूप से इस एकमत कथन का समर्थन किया, और हम अपने समुदाय के भागीदारों को भी ऐसा करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं। बयान का समर्थन करने वाले अन्य समूहों में शामिल हैं:

  • पॉजिटिव विमेंस नेटवर्क - संयुक्त राज्य अमेरिका - एचआईवी ग्रसित महिलाओं के लिए सबसे बड़ा राष्ट्रीय पैरोकार नेटवर्क है
  • HIVE - सकारात्मक यौन और प्रजनन स्वास्थ्य का एक केंद्र (यूएसए)
  • Translatin @Coalition - ट्रांसजेंडर अनुभव के लैटिन अमरीकी लोगों की जरूरतों की पैरवी करना
  • सदर्न एड्स कोअलिशन - यूएस साउथ (यूएसए) में एचआईवी महामारी को समाप्त करने के लिए काम कर रहा है
  • एचआईवी / एड्स पर कनाडा और अश्वेत समाज का वैश्विक नेटवर्क (कनाडा)
  • TheBody.com - वेब-आधारित एचआईवी समाचार, सूचना और समर्थन संसाधन (यूएसए)
  • डेसमंड टूटू एचआईवी फाउंडेशन (दक्षिण अफ्रीका)
  • आईएनए – दक्षिण प्रशांत महासागर प्रदेश का माओरी और स्थानीय आदिवासी एचआईवी / एड्स फाउंडेशन (न्यूजीलैंड)
  • एनएएम एड्समैप - एचआईवी नैदानिक जानकारी का एक विश्वसनीय स्रोत (यूनाइटेड किंगडम)
  • नेशनल अलायंस ऑफ़ स्टेट एंड टेरीटोरियल एड्स डायरेक्टर्स (NASTAD) (यूएसए)

यह भागीदार अपने लाभार्थी समुदायों के लिए उपयोगी इस जानकारी को साझा करने की प्रतिज्ञा करते हैं । न = न के संदेश को साझा करना, एचआईवी सम्बन्धी कलंक को मिटाना, उम्मीद बंधाना, एचआईवी संक्रमित लोगों के जीवन में सुधार करना , और दुनिया भर में महामारी के रूप में एचआईवी को समाप्त करने की रणनीति का हिस्सा है।

मुझे इस बारे में क्यों नहीं पता था?

एचआईवी सूचना प्रसारकों के द्वारा (एड्स सेवा संगठनों, स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं, सार्वजनिक स्वास्थ्य विभागों, एचआईवी मीडिया आउटलेट, आदि) न = न के बारे में एचआईवी ग्रसित लोगो को जानकारी न देने के पीछे कई कारण है |

सबसे पहले तो दृष्टिकोण, धारणाएं और व्यवहार बदलने में समय लगता हैं। एचआईवी के पैरोकार, कार्यकर्ता, और सेवा प्रदाता कई दशकों से एचआईवी के प्रसार को रोकने की पुरजोर कोशिश कर रहे हैं । कंडोम का उपयोग रोकथाम का इकलौता तरीका माना गया था। कंडोम के प्रचार को सर्वमान्य बनाने के लिए फैलाव के डर को बुनियाद बना कर कई अभियान और मुहिमों का निर्माण हुआ था। जब कंडोम के इस्तेमाल को इतनी वरीयता दी गयी, ऐसे में न के बराबर वायरल लोड भी एचआईवी फैलाव रोक सकता है- यह सन्देश स्वीकार कर पाना मुश्किल था ।

इसके अलावा, न = न का मतलब है कि एचआईवी ग्रसित लोग एचआईवी फैलाव में अपने अंतरंग भागीदारों के लिए जोखिम पैदा नहीं करते हैं, लेकिन न=न एसटीआई या अवांछित गर्भधारण को रोक नहीं सकता । कंडोम इन अन्य स्थितियों को रोक सकते हैं ।

इसके अलावा, यह भी महत्वपूर्ण है कि एचआईवी ग्रसित या एचआईवी की चपेट में पहले आते लोग वही होते हैं, जिनकी लैंगिकता पर पहले से कलंक और पूर्वाग्रह लगे हैं जैसे की : किन्नर, अश्वेत महिलाएं , ज्यादा और कम उम्र की महिलाऐं , गरीबी में रहने वाले लोग । यौन जीवन का आनंद लेने की इनकी स्वतंत्रता अक्सर सीमित होती है और उसे स्वीकारा नहीं जाता ; अगर कोई ऊपर बतायी एक से अधिक श्रेणियों में आते हों, तो उनका जीवन और भी प्रभावित होता है)। यह सारे बंधन भी न = न संदेश की राह टेढ़ी करते हैं। ‘एचआईवी को मारो गोली’ यह गोलियों की खुराक का मंत्र उनके साथियों में वायरस फैलाने की संभावना ख़तम कर सकता है, कलंक और पूर्वाग्रह पर काबू पाने में बहुत बड़ी मदद कर सकता है ।

एचआईवी ग्रसित महिलाओं के नेतृत्व में एक शोध अध्ययन में पाया गया कि अध्ययन समूह के बीच, लगभग ४०% एचआईवी ग्रसित महिलाएं -जिनका इलाज चल रहा था -उन्हें उनके सेवा प्रदाताओं ने न = न के बारे में नहीं बताया गया था । इसके अलावा, अमेरिका में एक बड़े एचआईवी उपचार अध्ययन में प्रतिभागियों ने इस संभावना को बहुत ज्यादा माना, कि वे अपने साथी को एचआईवी फैला सकते है ।

न = न अभियान के संस्थापक ने खुद एक ब्लॉग में न = न पैरोकारी में अहम भूमिका निभाती महिलाओं के बारे में बखूबी कहा है :

"एचआईवी फैलाव की जोखिम के बारे में सटीक और सार्थक जानकारी लोगों को दिलवाकर एचआईवी के बुनियादी कलंक को मिटाने का हमारा काम आवश्यक है, लेकिन अभी बहुत कुछ किया जाना बाकी है । एचआईवी और एचआईवी ग्रसित लोगों के लिए ३५ साल से बना कलंक  मिटाने से कहीं बड़ी एक और चुनौती है - सदियों पुरानी पितृसत्ता और स्त्रियों का दमन मिटाना- खास तौर ऐसे लोगों के लिए, जो धर्म, जात, रंग, लैंगिकता जैसे कई तमगों में दबे हैं।"

- ब्रूस रिचमैन, "वीमेन लिविंग विथ एच आई वी आर लीडिंग दी वे"

महिलाओं के लिए न=न सम्बन्धी महत्वपूर्ण मुद्दे

सम्बन्धो में सत्ता की परिभाषा

अध्ययनों से पता चलता है कि अंतरंग संबंधों में महिलाओं और पुरुषों के बीच असमान सत्ता के कारण एचआईवी महामारी महिलाओं के बीच विश्व स्तर पर पनप रही हैं ।

न = न की सोच एचआईवी सम्बंधित कलंक मिटाने लिए बहुत अहम् है; हालांकि, यह महिलाओं के खिलाफ असमान व्यवहार और पीढ़ियों से चल रही हिंसा को नहीं मिटाती । अध्ययनों से पता चलता है कि महिलाऐं अक्सर हिंसा के डर से या संबंधों में कमज़ोर होने की वजह से उनके साथी से कंडोम प्रयोग करने के लिए नहीं कह पाती । इन्ही कारणों की वजह से अपने साथी के इलाज की स्थिति तथा वायरल लोड के बारे में भी नहीं पूछ सकती l यह भी हो सकता है कि महिलाओं के साथी कम या न के बराबर वायरल लोड होने का दावा कर किसी भी प्रकार के सुरक्षा साधन का उपयोग करने से मना कर दे |

यौन साथियों में असमान सत्ता महिलाओं में न = न को कैसे प्रभावित कर सकती है इसका अध्ययन और अनुसंधान होना बहुत जरूरी है । तब तक रोकथाम के ऐसे तरीकों पर अनुसंधान हो जिन्हें महिलाएं चुन सकें, जैसे कि PrEP और अंततः, जंतुनाशक |

स्तनपान

मां का दूध शरीर के ऊन स्रावों में से एक है जो एचआईवी फैला सकता है। यदि आप एचआईवी दवाएं नियमित रूप से ले रही हों, और आपका वायरल लोड न के बराबर हो तो जोखिम कम जरूर हो जाता है लेकिन शून्य नहीं होता। एचआईवी उपचार के स्तनपान पर प्रभाव के विषय में अधिक शोध की जरूरत है ।

यदि आपके आसपास फ्रिज की सुविधा या साफ़ पानी उपलब्ध नहीं है तो असुरक्षित पानी में घोले गये फार्मूला दूध का जोखिम- और मां के दूध से बच्चे को मिलने वाली प्रतिरक्षा शक्ति, यह दोनों एचआइवी फैलाव के खतरे से कहीं ज्यादा होती है। दुनिया के ऐसे अभावग्रस्त क्षेत्रों में एचआईवी ग्रस्त महिलाओं को इन्हीं कारणों से स्तनपान कराने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। इन क्षेत्रों से स्तनपान और एचआईवी पर शोध से पता चलता है कि स्तनपान के माध्यम से एचआईवी फैलाव का खतरा 1 प्रतिशत से कम हो सकता है ।

अमेरिका और अन्य समृद्ध देशों में जहां पानी सुरक्षित है और बच्चों की कृत्रिम खुराक आसानी से उपलब्ध है, एचआईवी ग्रस्त महिलाओं के लिए स्तनपान की सिफारिश नहीं की जाती है। हालांकि न = न के युग में क्या यह विचार जारी रहे इस पर विशेषज्ञों में दो राय है ।

कुछ सेवा प्रदाताओं मानते हैं कि जहां बच्चे के स्वास्थ्य का सवाल है, छोटा जोखिम उठाना भी महंगा पड़ सकता है। (सोचने-समझनेवाले वयस्क अपना जोखिम चुन कर अपना फैसला कर सकते हैं, यहां सवाल ऐसे शिशुओं का है जो अपने फैसले नहीं कर सकते।) । वही कुछ यह सुझाते हैं कि माताओं को सम्पूर्ण जानकारी उपलब्ध कराई जाए ताकि वे अपनी सूझबूझ से निर्णय लें और उन्हें इलाज में पूर्ण सहयोग किया जाए। इस विषय के बारे में अधिक जानकारी के लिए, कृपया एचआईवी ग्रसित माता पिता के लिए शिशु आहार विकल्पों पर हमारी फैक्टशीट पढ़ें ।

एचआईवी अपराधीकरण

कई देशों और अमेरिकी राज्यों के कानूनों के अनुसार कुछ ऐसी गतिविधियां जो एचआईवी-मुक्त लोग करतें हों, एचआईवी ग्रस्त व्यक्ति करे तो अपराध कहलाती हैं (उदाहरण के लिए, आपसी सहमति से यौन सम्बन्ध बनाना ) । ऐसे कानून न केवल कानूनी प्रणाली में एचआईवी के लिए कलंक और भेदभाव बनाते हैं, यह ही न = न के युग में और तथ्यों की अनदेखी भी करते हैं । न = न के तथ्यों ने अभी तक इन कानूनों की स्थिति नहीं बदली है । अधिक जानकारी के लिए, कृपया कैसे एचआईवी अपराधीकरण महिलाओं को प्रभावित करता है पर हमारी फैक्टशीट देखें ।

ऐसे भेदभावजनक कानूनों से लड़ते समय, यह बताना भी महत्वपूर्ण है की एचआईवी फैलाव के नुकसान और जोखिम एचआईवी महामारी के शुरुआती दौर की तुलना में बेहद कम हुए हैं। हालांकि, यह भी महत्वपूर्ण है कि उन लोगों को कलंकित या अपराधी न ठहराया जाए, जिनमे वायरल लोड अभी भी ज्यादा है या न के बराबर नहीं हुआ है । महिलाओं में विशेष रूप से वायरल लोड कम न कर पाने के कई कारण हो सकते है , जैसे कि:

  • पुरुषों की तुलना में देरी से निदान होना
  • दूसरों के स्वास्थ्य को प्राथमिकता देते हुए अपने आप को पीछे रखना
  • हिंसा और गरीबी की दर के साथ आने वाली अस्थिरता, दवाइयों का निरंतर सेवन मुश्किल बना देती हैं. (हिंसा और गरीबी की दरें केवल सामाजिक स्तर नहीं दर्शातीं, यह निजी स्वास्थ्य की ओर भी इशारा करती हैं)

एचआईवी की स्थिति के आधार पर लोगों को अपराधी घोषित करना सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है और कभी भी उचित नहीं है, चाहे व्यक्ति का वायरल लोड किसी भी स्तर पर हो ।

इस विषय का सार : एचआईवी संक्रमित लोगों के लिए आशा लाना

न के बराबर वायरल लोड होने का मतलब है कि एचआईवी संक्रमित लोग अन्य लोगो को एचआईवी संक्रमण फैला नहीं कर सकते l यह जानकारी एचआईवी सम्बन्धी सार्वजनिक और व्यक्तिगत विचारों पर बड़ा प्रभाव डाल सकती हैं । हमारे पास महामारी को समाप्त करने, एचआईवी ग्रसित लोगों को स्वस्थ रखने और वायरस (यू = यू) को फैलाने में असमर्थ रखने के लिए उपकरण हैं, और एचआईवी नेगेटिव लोगों को PrEP (संक्रमण पूर्व खुराक) और PEP ( संक्रमण पश्चात् खुराक) के माध्यम से सुरक्षित रख सकते हैं।

एचआईवी महामारी इसलिए जारी है क्योंकि कुछ लोगों को परीक्षण के अभाव में अब भी अपनी एचआईवी स्थिती का पता नहीं है । एचआईवी पर कलंक की इसकी महामारी को समाप्त करने के लिए सबसे बड़ी बाधा है l जहाँ संभव हो इस जानकारी को साझा करके, समुदाय के समर्थन और पैरोकारी से यह कलंक मिटाना महत्वपूर्ण है - यह सभी आशा का निर्माण करते है ।

न = न में सभी प्रकार के एचआईवी कलंकों को मिटाने की क्षमता है- जिसमें चिकित्सालय और दफ्तरों के माहौल पर समाज भर पाये जाने वाले कलंक शामिल हैं; पारस्परिक (लोगों के बीच) परिवार और दोस्तों के बीच पनपते कलंक बहुत ही हानिकारक हैं; और आंतरिक कलंक (एचआईवी ग्रस्त लोगो के मन में एचआईवी के बारे में नकारात्मक विचार ), जो कई लोगों को स्वयं भी पता नहीं होता है ।

शोधकर्ताओं को रोकथाम के रूप में उपचार के प्रभाव पर अनुसंधान जरूर जारी रखना चाहिए लेकिन मौजूदा विज्ञान यु = यु का पुरज़ोर समर्थन करता है । यह एक कारण ही पर्याप्त है कि एचआईवी ग्रस्त या एचआईवी की चपेट में आनेवाले लोगों को इसकी जानकारी हो, ताकि वे अपने यौन जीवन और स्वास्थ्य के सम्बन्ध में उचित निर्णय लेने में स्वयं सक्षम हो जाएंगे ।

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